करें हम दुश्मनी किससे, कोई दुश्मन नहीं अपना,
मोहब्बत ने नहीं छोड़ी, जगह दिल में अदावत की।
दुश्मनी का सफ़र एक कदम दो कदम,
तुम भी थक जाओगे, हम भी थक जाएंगे।
दुश्मनी जम के करो पर इतनी गुंजाईश रहे,
कल जो हम दोस्त बन जाये तो शर्मिंदा न हो।
बिना मकसद बहुत मुश्किल है जीना,
खुदा आबाद रखना दुश्मनों को मेरे।
©Zaheer Khan
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