क्यों ना करे हम बहकी बहकी बात फिर
तुम जानते हो क्या हो तुम,
जाने क्यों फिर भी घड़ी दिखाते हो हमें तुम
हम नहीं चाहते कुछ भी कहना
पर देखो ना चाहते हुए भी रह नहीं पाते हम,
हां हो जाती है स्वार्थी वाली बात फिर
ठीक है हम जैसे हैं वैसे ठीक हैं
पर तुम भी कोई अच्छा नहीं करते
संग हमारे फिर।
(Rk.P)✍️
©Pragati Rk Rawat