हर अल्फाज के पीछे ज़ज्बात बहुत गहरे होते हैं मेरे
पर अपने न समझ सकें तो गैरों को कैसे समझ आयेंगे
सब छलिया कहने लगे हैं मुझे ऐ ख़ुदा
उनको मेरे अपनेपन के अंदाज कहाँ नजर आयेंगे।।।।।।
मैंने ग़मों में भी सौदे किए हैं लोगों से
मेरे मुस्कान के राज को ये कैसे जान पाएंगे।।।
अब मोहब्बत से भी दिल भर चुका है मेरा
उसमें जिल्लत के घूंट ये कैसे पी पाएंगे।।।
©Rowdy Girl
@Sanaya Sharma @Madhiya Mir IshQ परस्त {Official} Ehsaas"(ˈvamˌpī(ə)r)"Radio @Shahab Nisha Tiwari.
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