*हस्बे माहौल खुद को ढाल लेती हूँ,कोई करे मेरी *दिल शिकनी तो अपने*दिमाग से निकाल देती हूं/१
*मौजूद हाल*दिल तोड़ना,*मस्तिष्क
नहीं करती थप्पड़ के बाद, दूसरा गाल आगे,मैं*बेहुरमती करने वाले के दोनो गाल लाल कर देती हुं/२/
*अपमानित
हस्बे वक़्त ने सांपो का एहसास करा दिया मुझको अब एकआध को,मैं आस्तीन में पाल देती हूँ/३/
अफसोस मुझे फसाने की तेरी पुरजोर साज़िशे,मैं तुझ जैसी मीठी छुरी को पिटारे में डाल देती हूँ/४/