क्यों बताऊँ मैं अब तुम्हारी
की गयी गलतियों को
जिनको मैंने बार बार सुधरवाया है
हर बार ना जाने कितनी बार
समझाया है तुम्हारी नादानियों को
समझ कर हर बार खुद को गलत
ठहराया है और आगे सुधरने का
कई मौका तुम्हे बार बार दिया है
लेकिन तुमने हमारी बातो की कभी कद्र नही की
हमेशा उनको मजाक बनाया है
ना चाहते हुये भी मेरा दिल बार बार दुखाया है
फिर भी मैने तुम्हे अपनाया है एक बार फिर
तुम्हारी खुद की नजरों में गिरने से बचाया है
मैने खुद को एक बार फिर से
तेरी ख़ातिर खुद को गलत ठहराया है
ना जाने कितनी बार तेरी गलतियों को
मैंने नजर अंदाज करवाया है
खुद को खुद की नजर में तेरी खातिर
हमेशा से बार बार झुकाया है।
©praveen
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