बूढ़ा फ़कीर खाता रहा दर-बदर की ठोकरे सिक्के उसे मि | हिंदी शायरी

"बूढ़ा फ़कीर खाता रहा दर-बदर की ठोकरे सिक्के उसे मिले जो भिखारन जवान थी Meet"

 बूढ़ा फ़कीर खाता रहा दर-बदर की ठोकरे 

सिक्के उसे मिले जो भिखारन जवान थी 



 
                                           Meet

बूढ़ा फ़कीर खाता रहा दर-बदर की ठोकरे सिक्के उसे मिले जो भिखारन जवान थी Meet

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