भूख से बिल बिला रहे हैं लोग, दिल दो फांक है, और स

"भूख से बिल बिला रहे हैं लोग, दिल दो फांक है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। योजनाओं की है भीड़, ढाक के तीन पात है। और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। किले पर है झंडा, भूखे बच्चे के भी हाथ है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। कुछ सजसंवर के बैठे हैं, कुछ देख अवाक हैं, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। कुछ खा रहे छप्पन भोग, कोई रहा मुंह ताक है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। मर भी जाए कोई तो, मांगना पड़ता न्याय है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। मेहनत करने वाला चुप, गपोड़ी बजाता गाल है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। हम ही बनाते हैं इनको, ये हमारी ही सरकार है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। शक्ति सब लगा दें देशहित में, यही दरकार है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। उपाध्यक्ष, आप कला और संस्कृति प्रकोष्ठ। ©मुकेश आनंद"

 भूख से बिल बिला रहे हैं लोग, दिल दो फांक है, 
और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। 

योजनाओं की है भीड़, ढाक के तीन पात है। 
और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। 

किले पर है झंडा, भूखे बच्चे के भी हाथ है,
और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। 

कुछ सजसंवर के बैठे हैं, कुछ देख अवाक हैं,
और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। 

कुछ खा रहे छप्पन भोग, कोई रहा मुंह ताक है, 
और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। 

मर भी जाए कोई तो, मांगना पड़ता न्याय है,
और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। 

मेहनत करने वाला चुप, गपोड़ी बजाता गाल है,
और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। 

हम ही बनाते हैं इनको, ये हमारी ही सरकार है,
और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। 

शक्ति सब लगा दें देशहित में, यही दरकार है, 
और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। 
उपाध्यक्ष, आप कला और संस्कृति प्रकोष्ठ।

©मुकेश आनंद

भूख से बिल बिला रहे हैं लोग, दिल दो फांक है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। योजनाओं की है भीड़, ढाक के तीन पात है। और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। किले पर है झंडा, भूखे बच्चे के भी हाथ है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। कुछ सजसंवर के बैठे हैं, कुछ देख अवाक हैं, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। कुछ खा रहे छप्पन भोग, कोई रहा मुंह ताक है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। मर भी जाए कोई तो, मांगना पड़ता न्याय है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। मेहनत करने वाला चुप, गपोड़ी बजाता गाल है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। हम ही बनाते हैं इनको, ये हमारी ही सरकार है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। शक्ति सब लगा दें देशहित में, यही दरकार है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। उपाध्यक्ष, आप कला और संस्कृति प्रकोष्ठ। ©मुकेश आनंद

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