रात से रिश्ता न रख मुसाफिर
ये रात तेरे लिए नहीं
तुझे तो अभी एक नया सवेरा देखना है
ये रातें मेरे लिए हैं
जो मेरे तन्हाई को जिंदा रखते हैं
यें रातें मुझे सुकून देता हैं
रात के चांदनी मुझे मेरी चांद से मिलाती हैं
यें रातें न होती तो
न मेरी तन्हाई होती और न मैं
यें रातें केवल मेरे लिए हैं...
©Hrishi Vishal 007
#रात_से_रिश्ता