सुबह-सुबह तुम्हारे मुख पर वो पानी की बुंदे, हाथ | हिंदी विचार
"सुबह-सुबह तुम्हारे मुख पर
वो पानी की बुंदे,
हाथ में वो अदरक वाली चाय
और तुम बहोत याद आते हो,
बैठे-बैठे बालकनी में
वो जाड़े की धूप के साथ
मुस्कुराते हुए देखना
मुझे बहुत याद आते हो।
लिखने को तो बहुत कुछ है
मगर क्या कहें...
बस वो
चाय और तुम।।"
सुबह-सुबह तुम्हारे मुख पर
वो पानी की बुंदे,
हाथ में वो अदरक वाली चाय
और तुम बहोत याद आते हो,
बैठे-बैठे बालकनी में
वो जाड़े की धूप के साथ
मुस्कुराते हुए देखना
मुझे बहुत याद आते हो।
लिखने को तो बहुत कुछ है
मगर क्या कहें...
बस वो
चाय और तुम।।