बो लोग वही है धरती पर,
जो प्रेम घ्रणित कर जाते हैं,
मीरा के जैसी महारानी को बो जंगल पहॅुचाते हैं,
हैं खुद को राम बताते है पर सीता को दुख पहुँचाते हैं,
बो कैसे राम हैं हो सकते जब उसे छोड़ खुद सो जाते हैं ।।
जाकर तो बतलाओ उन्हें तुम राम नही बन सकते हो,
क्योंकि सीते व्याकुल होंगी बन मे ये सोच नही जग सकते हो,
तुम राम नहीं बन सकते हो तुम राम नहीं बन सकते ।।
©atul tiwari
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