जिंदगी आज भी नाकाम सी है। एक तकथ से लटकी हुई , वो | हिंदी Shayari
"जिंदगी आज भी नाकाम सी है।
एक तकथ से लटकी हुई ,
वो जिस्म बेजान सी है।
है बदलते मौसमे के मिजाज में ;
यूं ख्याल कुछ ऐसी है।
जैसे खाली रेगिस्थान में।
वो पानी की एक प्यास जैसी है।
Dipu"
जिंदगी आज भी नाकाम सी है।
एक तकथ से लटकी हुई ,
वो जिस्म बेजान सी है।
है बदलते मौसमे के मिजाज में ;
यूं ख्याल कुछ ऐसी है।
जैसे खाली रेगिस्थान में।
वो पानी की एक प्यास जैसी है।
Dipu