कितने अश्क़ बहे कितने ख्वाब टूटे है। अपना कहते थे ज | हिंदी शायरी

"कितने अश्क़ बहे कितने ख्वाब टूटे है। अपना कहते थे जो कभी देखो अब सब रूठे है।। -VAIBHAV RASHMI VERMA ©मेरेलफ़्जोंसे"

 कितने अश्क़ बहे कितने ख्वाब टूटे है।
अपना कहते थे जो कभी देखो अब सब रूठे है।। -VAIBHAV RASHMI VERMA

©मेरेलफ़्जोंसे

कितने अश्क़ बहे कितने ख्वाब टूटे है। अपना कहते थे जो कभी देखो अब सब रूठे है।। -VAIBHAV RASHMI VERMA ©मेरेलफ़्जोंसे

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