जिसके साथ पूरी ज़िन्दगी बिताने के सपने देखे
हर हाल में साथ निभाने के वादे किए
आज जाना उन्होंने तो हमे उनसे शिकायत करने का हक भी नहीं दिया
कई सवाल उठे है मन में
शिकायते आपसे नहीं तो किससे करूं
मन की बातें आपसे ना करूं तो किससे करूं?
क्या इतना भी हक नहीं मेरा ?
ये कैसा प्रेम है?