"तुमसे कुछ कहना चाहते हैं
पर चाहते हुए भी कह नहीं सकते
तुम सुनना ही नहीं चाहते
या फिर अब सुन नहीं सकते
बड़ी खामोशी है दिलों के शोर में
एक सन्नाटा है जज्बातों के डोर में
कुछ अनकहा बाकी तो है
पर अब कुछ कहा नहीं जाता
एक दिल ही तो बाकी था
अब मुझसे रहा नहीं जाता
कितने दूर हैं हम, ये अंदाजा कौन लगाएगा
पता नहीं कि अब घर कैसे लौटा जायेगा
©कमबख्त_कलम
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