मेरा शहर, जहाँ खुशियाँ थी हर नभ आता था नजर फूल, प | हिंदी कविता Video

"मेरा शहर, जहाँ खुशियाँ थी हर नभ आता था नजर फूल, पौधे, परिंदे लेकिन अब बड़ गये बंदे। अब मेरा शहर जहाँ हैं हजारों घर कई लोग हैं जहाँ बेघर। प्रदूषण, कूड़ा, गंदगी सब भूल गये बंदगी ©Kamlesh Kandpal "

मेरा शहर, जहाँ खुशियाँ थी हर नभ आता था नजर फूल, पौधे, परिंदे लेकिन अब बड़ गये बंदे। अब मेरा शहर जहाँ हैं हजारों घर कई लोग हैं जहाँ बेघर। प्रदूषण, कूड़ा, गंदगी सब भूल गये बंदगी ©Kamlesh Kandpal

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