On the Border ऊपर चोटी पर बैठा था दुश्मन देख कर उस | हिंदी Shayari

"On the Border ऊपर चोटी पर बैठा था दुश्मन देख कर उसे एक जवान तक नहीं डरा रख कर बन्दूक काधों पर निडर होकर चला खो दिया कुछ ने खुद को कुछ ने हाथ कुछ ने टाँगें पर फिर भी दुश्मन ना बढ़ सका एक कदम भी आगे और इसी बात पर जवानों के लिए 2 लाइन है कि डर उसे दिखाओ जो डर सके और गोली उस पर चलाओ जो मर सके ये तो मेरे देश की जान है जो मरकर भी अमर जवान है ।। कारगिल दिवस की शुभकामनाएं ©Ravinder Sharma"

 On the Border ऊपर चोटी पर बैठा था दुश्मन देख कर उसे एक जवान तक नहीं डरा
रख कर बन्दूक काधों पर निडर होकर चला 

खो दिया कुछ ने खुद को कुछ ने हाथ कुछ ने टाँगें 
पर फिर भी दुश्मन ना बढ़ सका एक कदम भी आगे 

और इसी बात पर जवानों के लिए 2 लाइन है कि 

डर उसे दिखाओ जो डर सके 
और गोली उस पर चलाओ जो मर सके 
ये तो मेरे देश की जान है जो मरकर भी अमर जवान है ।।
कारगिल दिवस की शुभकामनाएं

©Ravinder Sharma

On the Border ऊपर चोटी पर बैठा था दुश्मन देख कर उसे एक जवान तक नहीं डरा रख कर बन्दूक काधों पर निडर होकर चला खो दिया कुछ ने खुद को कुछ ने हाथ कुछ ने टाँगें पर फिर भी दुश्मन ना बढ़ सका एक कदम भी आगे और इसी बात पर जवानों के लिए 2 लाइन है कि डर उसे दिखाओ जो डर सके और गोली उस पर चलाओ जो मर सके ये तो मेरे देश की जान है जो मरकर भी अमर जवान है ।। कारगिल दिवस की शुभकामनाएं ©Ravinder Sharma

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