"ख़्वाब और ख़्याल रात करवटे बदल कर बदल जाती है,
तेरी बाहों में सोने को जी चाहता है,
न जाने ये इश्क की कौन सी मंजिल है।
हर बार तुझ पर ही "जान" निछावर करने को जी चाहता है।।
Ektayadav1997"
ख़्वाब और ख़्याल रात करवटे बदल कर बदल जाती है,
तेरी बाहों में सोने को जी चाहता है,
न जाने ये इश्क की कौन सी मंजिल है।
हर बार तुझ पर ही "जान" निछावर करने को जी चाहता है।।
Ektayadav1997