मेरी साइकिल हर वक़्त मेरा हौसला बढ़ाती है ,
एक मेरी साइकिल ही है, जो जीवन का चक्र सिखलाती है !
ख़रीदा था उसे जब वो काल पुराना था ,
पापा जब थे छोटे, ये वो ज़माना था
मंजिल तक पहुंच की आस लिए ,
दोस्तों संग रेस लगाते थे !
कभी गिरते तो कभी उठते थे ,
पर फिर भी जीत का लुत्फ़ उठाते थे I
हर वक़्त मेरा हौसला बढ़ाती है ,
एक मेरी साइकिल ही है, जो जीवन का चक्र सिखलाती है !
कभी संतुलन की परिभाषा सिखलाती है,
तो कभी जोश और जूनून दिखलाती है !
जीवन का फलसफा सीख़ लिया हमने
चल कर गिरना, गिरकर उठना सीख़ लिया हमने
दोस्त बनाना, हक़ जमाना सीख़ लिया हमने
जिंदगी जीना , ख़ुशी मनाना सीख़ लिया हमने
हर वक़्त मेरा हौसला बढ़ाती है ,
एक मेरी साइकिल ही है, जो जीवन का चक्र सिखलाती है !
©Naveen Diariess
हर वक़्त मेरा हौसला बढ़ाती है ,
एक मेरी साइकिल ही है, जो जीवन का चक्र सिखलाती है !
ख़रीदा था उसे जब वो काल पुराना था ,
पापा जब थे छोटे, ये वो ज़माना था
मंजिल तक पहुंच की आस लिए ,
दोस्तों संग रेस लगाते थे !