फिर मुलाक़ात, उनसे मिलके हमें खबर आई इश्क होता है क | हिंदी Shayari

"फिर मुलाक़ात, उनसे मिलके हमें खबर आई इश्क होता है क्या जमाने में। थे बेखबर पहले बहुत होश आया था तुमसे दिल लगाने में। जागते जागते ये राते गुजर जाती हैं वक्त काटा है हमने उन खतों को जलाने में। फिर मुलाकात का वो वक्त भी आने वाला है दिल मगर डरता है तेरे रूबरू भी आने में। उनसे मिलके हमें खबर आई इश्क़ होता है क्या जमाने में। ©शून्य"

 फिर मुलाक़ात, उनसे मिलके हमें खबर आई
इश्क होता है क्या जमाने में।

थे बेखबर पहले बहुत 
होश आया था तुमसे दिल लगाने में।

जागते जागते ये राते गुजर जाती हैं
वक्त काटा है हमने उन खतों को जलाने में।

फिर मुलाकात का वो वक्त भी आने वाला है
दिल मगर डरता है तेरे रूबरू भी आने में।

उनसे मिलके हमें खबर आई
इश्क़ होता है क्या जमाने में।

©शून्य

फिर मुलाक़ात, उनसे मिलके हमें खबर आई इश्क होता है क्या जमाने में। थे बेखबर पहले बहुत होश आया था तुमसे दिल लगाने में। जागते जागते ये राते गुजर जाती हैं वक्त काटा है हमने उन खतों को जलाने में। फिर मुलाकात का वो वक्त भी आने वाला है दिल मगर डरता है तेरे रूबरू भी आने में। उनसे मिलके हमें खबर आई इश्क़ होता है क्या जमाने में। ©शून्य

#Love #Poetry


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