एक चाय, हवाओं और फिज़ाओं में बराबर महसूस होती त | हिंदी कविता

"एक चाय, हवाओं और फिज़ाओं में बराबर महसूस होती तुम्हारी मौज़ूदगी.... ! तुम्हारी यादें... तुम्हारे एहसास... इसके सिवा कुछ नहीं होता.. * खास लम्हों में।* ©Pooja Saxena"

 एक चाय, 
हवाओं और फिज़ाओं में 
 बराबर महसूस होती तुम्हारी 
मौज़ूदगी.... ! 
तुम्हारी यादें...
तुम्हारे एहसास...
इसके सिवा कुछ नहीं होता..
  * खास लम्हों में।*

©Pooja Saxena

एक चाय, हवाओं और फिज़ाओं में बराबर महसूस होती तुम्हारी मौज़ूदगी.... ! तुम्हारी यादें... तुम्हारे एहसास... इसके सिवा कुछ नहीं होता.. * खास लम्हों में।* ©Pooja Saxena

चाय तेरी याद में..

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