काश मैं बारिश बन जाऊं,
बूंदों सा गिरकर,
सब को छू जाऊं,
धरती को राहत की सांस दिलाऊं,
तन मन भी गीला कर जाऊं,
सबको चैन दिलाऊं,
काश मैं बारिश बन जाऊं,
सबसे जुड़ कर,
सबके मन पढ़ पाऊं,
कभी ज़ोर से बरसूं,
कभी आहिस्ते गिर जाऊं,
सबका दिल बहलाऊं,
काश मैं बारिश बन जाऊं,
जो मिल ना सके,
उन्हें भी मिलाऊं,
धरती को गगन से मिलाऊं,
सबके गम पढ़ पाऊं,
दिल से दिल को मिलाऊं
काश मैं बारिश बन जाऊं,
बूंदों सा गिरकर,
सबको छू जाऊं।
- वैवस्वत सिंह।
#raining
#Imagination
#SoIcanReadthepain