जिस दिन से एक औरत अपने हक की आवाज़ उठाने लगती है
उसी दिन से लोग अपनी ओकात दिखाने लगते है
करते हैं हर रोज लोग वार उसके आत्म सम्मान पर
और उसपर कमवक्त अपने भी आंख दिखाने लगते हैं
फिर वो अपने घर की नटखट सी गुड़िया
गुमसुम सी हो जाने लगती है
वो अपने बाबुल के घर की गौरव
अब लोगों के आगे झुक जाने लगती है
सब सुख सहती है किसी को कुछ नही कहती है
चुप चाप अपने अंदर ही सब रख घूट घूट अब वो कमजोर पर जाने लगती है
और फिर आज.....
गई वो सबसे हार खतम हुआ ये वक्त का मार
अपने नयनों में कई पैगाम छुपाए अपने जीवन के राहों में कई सवाल बिछाए वो देखो सबसे बहोत दूर जाने लगती है
©avinash pnadit
#kinaara