रूह का प्यार आजकल कहां कोई याद रखता है साहब, एक रा | हिंदी शायरी

"रूह का प्यार आजकल कहां कोई याद रखता है साहब, एक रात उसके साथ बिताकर वो उसे इश्क़ समझते है। ©Tilok Suthar"

 रूह का प्यार आजकल कहां कोई याद रखता है साहब,
एक रात उसके साथ बिताकर वो उसे इश्क़ समझते है।

©Tilok Suthar

रूह का प्यार आजकल कहां कोई याद रखता है साहब, एक रात उसके साथ बिताकर वो उसे इश्क़ समझते है। ©Tilok Suthar

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