"एक दास्तां तेरी मेरी,
बताऊं तो रूह निकाल जाए मेरी।
अकेले खुद में गुनगुनाते है,
जज्बातों की कोई कदर ना मेरी।
ज्यादा तू भी सोचना मत,
किसे पता थी कोई दास्तां तेरी मेरी।"
एक दास्तां तेरी मेरी,
बताऊं तो रूह निकाल जाए मेरी।
अकेले खुद में गुनगुनाते है,
जज्बातों की कोई कदर ना मेरी।
ज्यादा तू भी सोचना मत,
किसे पता थी कोई दास्तां तेरी मेरी।