दर्द और दवा अश्क़ ज़ाया हो रहे थे, देख कर रोता न था 

"दर्द और दवा अश्क़ ज़ाया हो रहे थे, देख कर रोता न था  जिस जगह बनता था रोना, मैं वहा रोता न था  सिर्फ तेरी चुप ने मेरे गाल गीले कर दिए  मैं तो वो हूँ, जो किसी की मौत पर रोता न था ✍️ तहज़ीब हाफी ©Poetic kumar"

 दर्द और दवा अश्क़ ज़ाया हो रहे थे, देख कर रोता न था 
जिस जगह बनता था रोना, मैं वहा रोता न था 

सिर्फ तेरी चुप ने मेरे गाल गीले कर दिए 
मैं तो वो हूँ, जो किसी की मौत पर रोता न था

✍️ तहज़ीब हाफी

©Poetic kumar

दर्द और दवा अश्क़ ज़ाया हो रहे थे, देख कर रोता न था  जिस जगह बनता था रोना, मैं वहा रोता न था  सिर्फ तेरी चुप ने मेरे गाल गीले कर दिए  मैं तो वो हूँ, जो किसी की मौत पर रोता न था ✍️ तहज़ीब हाफी ©Poetic kumar

#Dard

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