White ख्वाइशों के जल में गिरफ्त हैं
इनके सिवा कुछ, दिखता कहां हैं।
मिट रहे हैं रोज़ इनके खातिर
एक जिक्र इनका, मिटता कहां है।
सौदा कर आते इन अरमानों का
पर बाजारों में, बिकता कहां है।
हासिल हो भी जाए अगर ये कल
ख्वाहिशों का सिलसिला, टिकता कहां हैं
©Umrav Jat
#love_shayari # कुछ अन कहा#
अधूरी ख्वाहिश