नगरी नगरी फिरा मुसाफ़िर घर का रस्ता भूल गया
क्या है तेरा क्या है मेरा अपना पराया भूल गया
क्या भूला कैसे भूला क्यूँ पूछते हो बस यूँ समझो
कारन दोश नहीं है कोई भूला भाला भूल गया
कैसे दिन थे कैसी रातें कैसी बातें घातें थीं
मन बालक है पहले प्यार का सुंदर सपना भूल गया