जो था नहीं मेरा कभी,
पलक झपकते ही खो गया।
rahulbanait
रात भर चल रहा था मंज़र,
सूबे होते ही ढह गया।
सूरज की किरनों के साथ,
ना जाने कहीं खो गया।
आस लगाये था मैं बैठा,
बैठ बैठाये ही रह गया।
जो था नहीं मेरा कभी
पलक झपकते ही खो गया..।😶
#जो_था_नहीं_मेरा_कभी