मैंने ईंटों को दीवारों में ढलते देखा है । हां ! म | हिंदी Shayari

"मैंने ईंटों को दीवारों में ढलते देखा है । हां ! मैंने महल बनते देखा है । और किस्मत की बातें मत कहो साहब! मैंने पत्थर को भी भगवान बनते देखा है। ©शुभम जैन सिद्ध"

 मैंने ईंटों को दीवारों में ढलते देखा है । 
हां ! मैंने महल बनते देखा है । 
और किस्मत की बातें मत कहो साहब!
मैंने पत्थर को भी भगवान बनते देखा है।

©शुभम जैन सिद्ध

मैंने ईंटों को दीवारों में ढलते देखा है । हां ! मैंने महल बनते देखा है । और किस्मत की बातें मत कहो साहब! मैंने पत्थर को भी भगवान बनते देखा है। ©शुभम जैन सिद्ध

#intezar

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