वो वादे से मुकर गयी मेरे संग ज़िंदगी जिधर गयी सपने | हिंदी शायरी
"वो वादे से मुकर गयी मेरे संग ज़िंदगी जिधर गयी सपने थे उसके सिर्फ बातो की
हम भी उसके थे कुछ रातो की,
ओ काहा करती थी प्यार मेरे से॰॰॰॰
ओ प्यासी थी सिर्फ मेरी जज्बतो की"
वो वादे से मुकर गयी मेरे संग ज़िंदगी जिधर गयी सपने थे उसके सिर्फ बातो की
हम भी उसके थे कुछ रातो की,
ओ काहा करती थी प्यार मेरे से॰॰॰॰
ओ प्यासी थी सिर्फ मेरी जज्बतो की