आज वो मन्नतों धागे हर जगह से खोल आया हूं, उसक | हिंदी कविता Video

"आज वो मन्नतों धागे हर जगह से खोल आया हूं, उसकी गली अब कहीं दूर आया हूं, शायद उसे मुझसे बेहतर की तलाश थी, अब तुझे उसकी ही तलाश छोड़ आया हूं, तेरे सारे इल्जामात सही थे, मैं गुनेहगार था तेरा, मैं उसी सजा के खातिर सब छोड़ आया हूं, ए —खुदा तू उसे रखना, जिसे मैं तेरे सहारे छोड़ आया हूं।। ©Dr. Devbrat Pundhir "

आज वो मन्नतों धागे हर जगह से खोल आया हूं, उसकी गली अब कहीं दूर आया हूं, शायद उसे मुझसे बेहतर की तलाश थी, अब तुझे उसकी ही तलाश छोड़ आया हूं, तेरे सारे इल्जामात सही थे, मैं गुनेहगार था तेरा, मैं उसी सजा के खातिर सब छोड़ आया हूं, ए —खुदा तू उसे रखना, जिसे मैं तेरे सहारे छोड़ आया हूं।। ©Dr. Devbrat Pundhir

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