"कचनार पे
यौवन चढ़ा साथ
लज्जा संभारे।।
सुनती सारे
अट्टहास फिर भी
है मौन धारे।।
क्या खता मेरी
हैं देख जो बावरे
भ्रमर सारे।।
आरा ए रंग
बचे कैसे सोचती
ये मन मारे।।
हुज़रा मिले
आराईश ये मेरी
रखूं किनारे।।"
कचनार पे
यौवन चढ़ा साथ
लज्जा संभारे।।
सुनती सारे
अट्टहास फिर भी
है मौन धारे।।
क्या खता मेरी
हैं देख जो बावरे
भ्रमर सारे।।
आरा ए रंग
बचे कैसे सोचती
ये मन मारे।।
हुज़रा मिले
आराईश ये मेरी
रखूं किनारे।।