#OpenPoetry सुनो ....
अब रास्ते बदल लेते है
गर मिले कभी तो मिलेंगे वैसे ही जैसे बरसों पहले मिले थे
वो तड़प एक दूसरे को देखने की,
वो तड़प एक दूसरे को सुनने की,
वो तड़प एक दूसरे को छूने की,
वो तड़प साथ जीने की,
वो तड़प एक दूसरे के लिए मरने की,
वो तड़प तुझे पाने की,
वो तड़प तेरा हो जाने की,
वो तड़प रात भर तुझे सुनने की,
वो तड़प तेरे साथ जागने की,
वो तड़प तुझे सबसे मिलवाने की,
तेरे नाम का सिंदूर लगाने की,
वो तड़प तेरी मुझे पाने की,
मेरे साथ जिंदगी बिताने की,
मिलेंगे फिर उसी दौर में
जब मैं नादान थी और तू अंजान था
कि इन नादानियों में ही एक दिन हम बड़े हो जाएंगे,
मिलना तो किस्मत की बात है
लेकिन साथ ना होकर भी हम हमेशा के लिए एक दूसरे के हो जाएंगे....
गर मिले कभी तो मिलेंगे वैसे ही जैसे बरसों पहले मिले थे,
जब होगी तुझमें वही तड़प मुझे पाने की,
बस मेरा ही हो जाने की
#intzaar
#OpenPoetry it's written by me.I have copyright for this poetry....
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