ना मिले भले ही काया उनकी दिल से दिल का रिश्ता क्य | हिंदी Poetry

"ना मिले भले ही काया उनकी दिल से दिल का रिश्ता क्या खूब वो दोनों निभाते हैं मैं शेर तेरा ,तू शेरनी मेरी चल दोस्ती अपनी ,जीवन साथी बनकर ताउम्र निभाते हैं l ना डरना कभी ना झुकना कभी बनकर ढाल एक दूजे की सारी दुनिया से लड़ जाते हैं l यूँ तो लडते है भीड़ते हैं, हर रोज तू तू मैं मैं करते हैं आये जो आँच पर इक पर भी बनकर साया दूजे का सच्चे साथ की परिभाषा कुछ अलग ढंग से इस दुनिया में लिख जाते हैं। ओस की कलम ©Timsi thakur"

 ना मिले भले ही काया उनकी 
दिल से दिल का रिश्ता क्या खूब वो दोनों निभाते हैं 
मैं शेर तेरा ,तू शेरनी मेरी 
चल दोस्ती अपनी ,जीवन साथी बनकर ताउम्र निभाते हैं l
ना डरना कभी ना झुकना कभी
बनकर ढाल एक दूजे की सारी दुनिया से लड़ जाते हैं l
यूँ तो लडते है भीड़ते हैं, 
हर रोज तू तू मैं मैं करते हैं 
आये जो आँच पर इक पर भी
बनकर साया दूजे का 
सच्चे साथ की परिभाषा 
कुछ अलग ढंग से इस दुनिया में 
लिख जाते हैं। 
                        ओस की कलम

©Timsi thakur

ना मिले भले ही काया उनकी दिल से दिल का रिश्ता क्या खूब वो दोनों निभाते हैं मैं शेर तेरा ,तू शेरनी मेरी चल दोस्ती अपनी ,जीवन साथी बनकर ताउम्र निभाते हैं l ना डरना कभी ना झुकना कभी बनकर ढाल एक दूजे की सारी दुनिया से लड़ जाते हैं l यूँ तो लडते है भीड़ते हैं, हर रोज तू तू मैं मैं करते हैं आये जो आँच पर इक पर भी बनकर साया दूजे का सच्चे साथ की परिभाषा कुछ अलग ढंग से इस दुनिया में लिख जाते हैं। ओस की कलम ©Timsi thakur

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