करे क्या,क्या ना करे; इस आलम में तुमसे दूर ना रहे

"करे क्या,क्या ना करे; इस आलम में तुमसे दूर ना रहे ! करीब तो हम थे नहीं ; क्या दूर जाने की भी जुर्रत ना करे! तुम्हारे खुशबू से थी मेरी दुनिया खुशनुमा चारो तरफ़ ; अब क्या अपनी ख्यालों में भी तुम्हारा ऐतवार ना करे। पलाश"

 करे क्या,क्या ना करे; इस आलम में तुमसे दूर ना रहे !
करीब तो हम थे नहीं ; क्या दूर जाने की भी जुर्रत ना करे!
तुम्हारे खुशबू से थी मेरी दुनिया खुशनुमा चारो तरफ़ ;
अब क्या अपनी ख्यालों में भी तुम्हारा ऐतवार ना करे।
पलाश

करे क्या,क्या ना करे; इस आलम में तुमसे दूर ना रहे ! करीब तो हम थे नहीं ; क्या दूर जाने की भी जुर्रत ना करे! तुम्हारे खुशबू से थी मेरी दुनिया खुशनुमा चारो तरफ़ ; अब क्या अपनी ख्यालों में भी तुम्हारा ऐतवार ना करे। पलाश

करे क्या,क्या ना करे; इस आलम में तुमसे दूर ना रहे !
करीब तो हम थे नहीं ; क्या दूर जाने की भी जुर्रत ना करे!
तुम्हारे खुशबू से थी मेरी दुनिया खुशनुमा चारो तरफ़ ;
अब क्या अपनी ख्यालों में भी तुम्हारा ऐतवार ना करे।
पलाश

#CupOfHappiness

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