ये कैसी आँखें मुझको अता हुई हैं, यही बादल और यही ब | हिंदी Shayari

"ये कैसी आँखें मुझको अता हुई हैं, यही बादल और यही बरखा हुई हैं। कितने हसीन मंज़र दिखाए इसने, अब यही धुंधलेपन की वजह हुई हैं। . ©Maahi"

 ये कैसी आँखें मुझको अता हुई हैं,
यही बादल और यही बरखा हुई हैं।

कितने हसीन मंज़र दिखाए इसने,
अब यही धुंधलेपन की वजह हुई हैं।





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©Maahi

ये कैसी आँखें मुझको अता हुई हैं, यही बादल और यही बरखा हुई हैं। कितने हसीन मंज़र दिखाए इसने, अब यही धुंधलेपन की वजह हुई हैं। . ©Maahi

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