______पुस्तक_पुर______
मन में था बहुत ग़म
इसलिए न लिया कोई कलम,
दिल था बेताब
इसलिए न लिया कोई किताब
दिल्ली फाटक के पुस्तक पुर से।
यही सोच इक चीख उठी उर से,
जो कविता के रूप में
फैल गयी खाली
किताब की सूरत पे
रात के लगभग एक बजे।
...✍️विकास साहनी
©Vikas Sahni
#पुस्तक_पुर