प्रेम की गति बैलगाङी सी है
सहज चलता है,सहज पकता है।
प्रेम का अहसास इबादत सा है
सब्र भी जरूरी और विश्वास भी।
प्रेम की कोई मंजिल नहीं होती
ये तो अविराम-अनंत सफर सा है।
राधा हो, मीरा हो या हो श्रीकृष्ण
प्रेम तो सबके लिए अविरल सा है।
प्रेम में बंधने के लिए नहीं कोई बेङी
बिना ङोर के भी ये दुनिया बांधता है।
©Parveen Malik
#feellove