आंखों में एक बड़ा सा ख्वाब था हाँ वो बचपन मेरा भी बेमिशाल था
जब कोई ख्वाब पूछता तो हम धपक से खड़े होकर अपने बेतुके से ख्वाब कह देते थे, हाँ वो बचपन ही था
वो बचपन ही था जहां सब का स्कूल में खाना लेकर आना और किसी का टिफ़िन किसी ने खाना हाँ वो बचपन ही था,
जब हम इंतजार करते थे कब स्कूल की जिंदगी से बाहर आये और वापस अपनी शक्तिमान, सोनपरी वाली जिंदगी में खो जाए, हाँ वो बचपन ही था
वो बचपन ही था जब हम खुद के अंदर झाँका करते थे खुद को भी अपने शक्तिमान के कहीं करीब सा ही आंका करते थे
वो बचपन ही था जब गली के सारे दोस्त हमारे भाई कहे जाते थे, और उन्ही से लड़ कर हम फिर उन्ही में मिल जाते थे
हाँ वो बचपन ही था जब अपने उसी फेंकू दोस्त गोलू की बातों पर हम यकीन माना करते थे उस वक़्त आसमान से ऊपर उठ कर हम जमीन को झांका करते थे
उम्मीद इतनी की दुनिया को अपने नाम से भर जाए जिससे खुश हो सारा जहां कुछ ऐसा काम हम कर जाएं
हाँ पर वो सिर्फ बचपन ही था...😢