स्टेशन जेसी हो गई है जिंदगी, जहाँ लोग तो बहुत है, पर अपना कोई नहीं................ “मेरे सीने में जो जख्म है वो जख्म नहीं फूलो के गुच्छे है, हमें तो पागल ही रहने दो हम पागल ही अच्छे है।” – भगत सिंह Bhagat Singhसबसे पहले एक सामान्य भारतीय एक सामान्य इंसान जय हिंद वंदे मातरम "इंकलाब जिंदाबाद" आज की कविता एक मासूम सी लड़की पर आधारित है "मां मेरा कसूर नहीं था"| " कि शायद फिर किसी दिन इंसानियत जाग उठेगी जब किसी के दिल में सरफरोशी की आग उठेगी" "फिर यह सियासी मोरे खोजने लगेंगे आसरा जब जिंदाबाद आवाज में इंकलाब की राग उठेगी """"" "|जो पानी से नहाता है वह लिबास बदलता है जो पसीने से नहाता है वह इतिहास बदलता है| √√√√√√" """"_ "कविता का शीर्षक_____" मां मेरा कसूर नहीं था "जय हिंद वंदे मातरम इंकलाब जिंदाबाद यूट्यूब चैनल इंकलाब मोटिवेशन by भगत स्वामी, Deepa Rajput