#रत्नाकर कालोनी
पेज -97
कन्या... कन्या जो अपने पिता को दोनों लोकों में यश देने को अपने पिता के तरण तारण को स्वयं का दान,
पिता के हस्तकमल से बिना कुछ कहे करने को सहर्ष तैयार है..ये हैं भारत की बेटियाँ...! ये है त्याग.. ये है पिता के प्यार दुलार के प्रति एक बेटी का सच्चा समर्पण.. तभी तो बेटी अपने पिता की नाक होती हैं.. पिता का स्वाभिमान आत्मसम्मान होती हैं.. आज वही बेटी एक पिता कैसे वर को दान दे रहा है.. कोई सोचे उस पिता की उस वेदना को जिसे वह कह भी नहीं पा रहा है.. उस बेटी की अंतर चीत्कार जो अपन