हर लम्हा कमी मेरी महसूस तुझे हो ।
हो दर्द मुझे कोई तकलीफ़ तुझे हो ।।
रूहों से जुड़ा शायद रिश्ता है हमारा ।
जो महसूस मुझे हो वो महसूस तुझे
कोई हम-दम न रहा कोई सहारा न रहा
हम किसी के न रहे कोई हमारा न रहा
शाम तन्हाई की है आएगी मंज़िल कैसे
जो मुझे राह दिखा दे वही तारा न रहा
ऐ नज़ारो न हँसो मिल न सकूँगा तुम से
तुम मेरे हो न सके मैं भी तुम्हारा न रहा
क्या बताऊँ मैं कहाँ यूँही चला जाता हूँ
जो मुझे फिर से बुला ले वो इशारा न रहा
©Sachinkumar
safikhan Ajay Kumar HARIHAR ARYA Mohit Singh Bisht