हर लम्हा कमी मेरी महसूस तुझे हो । हो दर | हिंदी शायरी

"हर लम्हा कमी मेरी महसूस तुझे हो । हो दर्द मुझे कोई तकलीफ़ तुझे हो ।। रूहों से जुड़ा शायद रिश्ता है हमारा । जो महसूस मुझे हो वो महसूस तुझे कोई हम-दम न रहा कोई सहारा न रहा हम किसी के न रहे कोई हमारा न रहा शाम तन्हाई की है आएगी मंज़िल कैसे जो मुझे राह दिखा दे वही तारा न रहा ऐ नज़ारो न हँसो मिल न सकूँगा तुम से तुम मेरे हो न सके मैं भी तुम्हारा न रहा क्या बताऊँ मैं कहाँ यूँही चला जाता हूँ जो मुझे फिर से बुला ले वो इशारा न रहा ©Sachinkumar"

 हर लम्हा कमी मेरी महसूस तुझे हो ।
           हो दर्द मुझे कोई तकलीफ़ तुझे हो ।।
          रूहों से जुड़ा शायद रिश्ता है हमारा ।
       जो महसूस मुझे हो वो महसूस तुझे 
कोई हम-दम न रहा कोई सहारा न रहा
हम किसी के न रहे कोई हमारा न रहा

शाम तन्हाई की है आएगी मंज़िल कैसे
जो मुझे राह दिखा दे वही तारा न रहा

ऐ नज़ारो न हँसो मिल न सकूँगा तुम से
तुम मेरे हो न सके मैं भी तुम्हारा न रहा

क्या बताऊँ मैं कहाँ यूँही चला जाता हूँ
जो मुझे फिर से बुला ले वो इशारा न रहा

©Sachinkumar

हर लम्हा कमी मेरी महसूस तुझे हो । हो दर्द मुझे कोई तकलीफ़ तुझे हो ।। रूहों से जुड़ा शायद रिश्ता है हमारा । जो महसूस मुझे हो वो महसूस तुझे कोई हम-दम न रहा कोई सहारा न रहा हम किसी के न रहे कोई हमारा न रहा शाम तन्हाई की है आएगी मंज़िल कैसे जो मुझे राह दिखा दे वही तारा न रहा ऐ नज़ारो न हँसो मिल न सकूँगा तुम से तुम मेरे हो न सके मैं भी तुम्हारा न रहा क्या बताऊँ मैं कहाँ यूँही चला जाता हूँ जो मुझे फिर से बुला ले वो इशारा न रहा ©Sachinkumar

safikhan Ajay Kumar HARIHAR ARYA Mohit Singh Bisht

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