हार कर ना हारना गिरकर के फिर से उठना तू कुछ ना ल

"हार कर ना हारना गिरकर के फिर से उठना तू कुछ ना लगे हाथ तेरे फिर भी आस ना छोड़ना । देर से सही, पर मिलेंगी मंजिल कर विश्वास आज हे तुझ में भी सामर्थ्य हर काज को करने का बस आज ये विश्वास कर । गिरेगा कई बार पर फिर से उठने का साहस आज रख । बदलतें वक़्त मे कुछ तेरा भी छूट जायेगा पर फिर से थाम सके सब ये उम्मीद आज रख । हार कर ना हारना गिरकर के फिर से उठना तू। जब पड़े अंधकार तुझ पर और ना दिखे रोशनी तो फिर से खंगालना अपने बजूद को एक उम्मीद की लौ जल उठेंगी फिर से तेरे भीतर बस आज उस की पहचान कर । हार कर ना हारना गिरकर के फिर से उठना तू l ©Neha Dubey"

 हार कर ना हारना 
गिरकर के फिर से उठना तू 
कुछ ना लगे हाथ तेरे 
फिर भी आस ना छोड़ना ।

देर से सही, पर मिलेंगी मंजिल
कर विश्वास आज 
हे तुझ में भी सामर्थ्य 
हर काज को करने का
बस आज ये विश्वास कर । 

गिरेगा कई बार 
पर फिर से उठने का 
साहस आज रख ।
बदलतें वक़्त मे कुछ 
तेरा भी छूट जायेगा
पर फिर से थाम सके सब 
ये उम्मीद आज रख ।

हार कर ना हारना 
गिरकर के फिर से उठना तू।

जब पड़े अंधकार तुझ पर
और ना दिखे रोशनी तो 
फिर से खंगालना 
अपने बजूद को
एक उम्मीद की लौ 
जल उठेंगी फिर से तेरे भीतर 
बस आज उस की पहचान कर ।

हार कर ना हारना 
गिरकर के फिर से उठना तू l

©Neha Dubey

हार कर ना हारना गिरकर के फिर से उठना तू कुछ ना लगे हाथ तेरे फिर भी आस ना छोड़ना । देर से सही, पर मिलेंगी मंजिल कर विश्वास आज हे तुझ में भी सामर्थ्य हर काज को करने का बस आज ये विश्वास कर । गिरेगा कई बार पर फिर से उठने का साहस आज रख । बदलतें वक़्त मे कुछ तेरा भी छूट जायेगा पर फिर से थाम सके सब ये उम्मीद आज रख । हार कर ना हारना गिरकर के फिर से उठना तू। जब पड़े अंधकार तुझ पर और ना दिखे रोशनी तो फिर से खंगालना अपने बजूद को एक उम्मीद की लौ जल उठेंगी फिर से तेरे भीतर बस आज उस की पहचान कर । हार कर ना हारना गिरकर के फिर से उठना तू l ©Neha Dubey

#Hindi #poem

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