जय सियाराम
राम नाम रट रे मना, राम जगत आधार।
जग में प्रभु के नाम की,महिमा अपरंपार ।।
निर्मल मन से कीजिये, सुमिरन बारम्बार ।
राम करेंगे आपको,भव सागर से पार।।
राम नाम औषधि बड़ी, कहता है संसार ।
पीड़ा मिट जाती सभी, उर आनंद अपार।।
उर में राम बसें सदा,मुख से जपते नाम ।
मिल जाए संतसंग जो, गृह भी बनता धाम ।।
पाप मिटे शत जन्म के, प्रभु हैं नाम अधीन ।
भक्त वही बलवान है, नाम रहे तल्लीन ।।
ताप त्रिगुण सागर बड़ा, इसमें नौका राम ।
जग की आशा त्यागिये, हरि आएँगे काम ।।
दीया के प्रभु साँवरे,राम कहो या श्याम ।
अंतर उजियारा करे, अंतिम है विश्राम ।।
©Dipti Singh Diya
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