chai quotes in hindi तुम कहते थे.... कहते हो.... त | हिंदी Shayari

"chai quotes in hindi तुम कहते थे.... कहते हो.... तुम्हारी जुल्फें लिखता हूं तुम्हारी नज़र लिखता हूं। मेरी हर ग़ज़ल तुमसे ही तुम्हारी महक लिखता हूं। ना पूछ तु हर वक़्त कितनी मोहब्बत है मुझसे, समंदर से भी गहरा है हर दफा लिखता हूं। सवाल क्यों उठता है कि भुलता हूं तुझे, तु रुह से जुड़ा है तेरा ही असर लिखता हूं। तुम कहते थे.... कहते हो.... तुम्हारी आंखें जैसे मधुशाला मैं वो नशा लिखता हूं। तुम्हारा पलकें झुका के मुस्कुराना मैं वो हया लिखता हूं। क्यों हर वक़्त डर है तुझे हम बिछड़ तो न जायेंगें, हम तो उस आसमां तलक साथ हैं देख वो पता लिखता हूं। शिक़ायत है तुझे मैं मनाता नहीं कभी, तु नाराज़ भी इक अदा है तेरा चेहरा लिखता हूं। तुम कहते थे... कहते हो.... मैं सुनती हूं तुझे। हर लफ्ज़,हर आहट में ढूंढती हूं तुझे। मैं नदी सी अल्हड़ बहती ख़ामोश सागर कहते हैं तुझे। तुम लिखते होगें मुझे, मैं तो बस पढ़ती हूं तुझे। Pooja ©Pooja Singh"

 chai quotes in hindi तुम कहते थे.... कहते हो....
तुम्हारी जुल्फें लिखता हूं तुम्हारी नज़र लिखता हूं।
मेरी हर ग़ज़ल तुमसे ही तुम्हारी महक लिखता हूं।
ना पूछ तु हर वक़्त कितनी मोहब्बत है मुझसे,
समंदर से भी गहरा है हर दफा लिखता हूं।
सवाल क्यों उठता है कि भुलता हूं तुझे,
तु रुह से जुड़ा है तेरा ही असर लिखता हूं।

तुम कहते थे.... कहते हो....
तुम्हारी आंखें जैसे मधुशाला मैं वो नशा लिखता हूं।
तुम्हारा पलकें झुका के मुस्कुराना मैं वो हया लिखता हूं।
क्यों हर वक़्त डर है तुझे हम बिछड़ तो न जायेंगें,
हम तो उस आसमां तलक साथ हैं देख वो पता लिखता हूं।
शिक़ायत है तुझे मैं मनाता नहीं कभी,
तु नाराज़ भी इक अदा है तेरा चेहरा लिखता हूं।

तुम कहते थे... कहते हो.... मैं सुनती हूं तुझे।
हर लफ्ज़,हर आहट में ढूंढती हूं तुझे।
मैं नदी सी अल्हड़ बहती ख़ामोश सागर कहते हैं तुझे।
तुम लिखते होगें मुझे, मैं तो बस पढ़ती हूं तुझे।

                                                   Pooja

©Pooja Singh

chai quotes in hindi तुम कहते थे.... कहते हो.... तुम्हारी जुल्फें लिखता हूं तुम्हारी नज़र लिखता हूं। मेरी हर ग़ज़ल तुमसे ही तुम्हारी महक लिखता हूं। ना पूछ तु हर वक़्त कितनी मोहब्बत है मुझसे, समंदर से भी गहरा है हर दफा लिखता हूं। सवाल क्यों उठता है कि भुलता हूं तुझे, तु रुह से जुड़ा है तेरा ही असर लिखता हूं। तुम कहते थे.... कहते हो.... तुम्हारी आंखें जैसे मधुशाला मैं वो नशा लिखता हूं। तुम्हारा पलकें झुका के मुस्कुराना मैं वो हया लिखता हूं। क्यों हर वक़्त डर है तुझे हम बिछड़ तो न जायेंगें, हम तो उस आसमां तलक साथ हैं देख वो पता लिखता हूं। शिक़ायत है तुझे मैं मनाता नहीं कभी, तु नाराज़ भी इक अदा है तेरा चेहरा लिखता हूं। तुम कहते थे... कहते हो.... मैं सुनती हूं तुझे। हर लफ्ज़,हर आहट में ढूंढती हूं तुझे। मैं नदी सी अल्हड़ बहती ख़ामोश सागर कहते हैं तुझे। तुम लिखते होगें मुझे, मैं तो बस पढ़ती हूं तुझे। Pooja ©Pooja Singh

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