मुस्कुराहटों का जेवर उतर गया सपनों का आशयाना बिखर | हिंदी शायरी

"मुस्कुराहटों का जेवर उतर गया सपनों का आशयाना बिखर गया अब और कितनी दीवानगी ना गूंजती है यहां कोई आवाज ना आसमा में दिखता है कोई परवाज अब और कितनी दीवानगी रमाकांत राहगीर ©ramakantdubey"

 मुस्कुराहटों का जेवर उतर गया 
सपनों का आशयाना बिखर गया
 अब और कितनी दीवानगी 
ना गूंजती है यहां कोई आवाज 
ना आसमा में दिखता है कोई परवाज
 अब और कितनी दीवानगी

रमाकांत राहगीर

©ramakantdubey

मुस्कुराहटों का जेवर उतर गया सपनों का आशयाना बिखर गया अब और कितनी दीवानगी ना गूंजती है यहां कोई आवाज ना आसमा में दिखता है कोई परवाज अब और कितनी दीवानगी रमाकांत राहगीर ©ramakantdubey

#dost

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