चंद रूपयो के कपडो से
अगर ईज्जत बनती है मेरी
तो जनाब बहुत सस्ता हु मै
कागज़ के कुछ टुकडो पे
हर गली बिकता हुँ मै
तो जनाब बहुत सस्ता हु मै
लालच के हसीन मुखडों पे
हर रोज फिसलता हुँ मै
तो जनाब बहुत सस्ता हु मै
खुद की कीमत को जाने बिना
काँच के टुकडे चुनता हुँ मै
तो जनाब बहुत सस्ता हु मै
- Kaviman
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