गुजर जाऊं वो झोका नही हवा का
ठहर जाऊं वो मौका नहीं जगह का
तड़पती हो तो तड़पती रहो जिंदगी
अभी आया नही वक्त तेरी दवा का
सजा तो दिया है आशियां फूलों से खूबसूरत
आज दस्तूर नही है वफा करने का
जीतना है तो फिर डरना क्यों मेरे भाई
हिसाब क्या करना नुकसान का और नफा का
न जाने क्या क्या कहां कहां हलचल सी होती है
संभल के रहना ये इश्के मर्ज है पहली दफा का
Dr KR Prbodh
©K R Prbodh