दर्द को शराब में मिला के पीते गए।
फिर यूँ हुआ के हम मुस्कुराते गए।
पुरानी तस्वीर जो आंखों में समाई!
फिर यादों को धूएं में जलाते गए।
अब तो हमें साज़िशें भी जानने लगीं!
आंसुओं संग खुद को बहलाते गए।
भाड़े के घर को अपना समझा है मैंने!
खुद को वफ़ा के सागर में डुबाते गए।
करने लगे जब ज़ख्मों ने मुझसे सवाल!
खामोशी की चादर खुद पे ओढ़ाते गए।
ख्वाहिश थी हमसे दूर जाने की उनको!
फिर नजदीकियों पे कांटे बिछाते गए।
जब से दिल में बसा लिया मैने उनको!
फिर दिल मे यादों के दीये जलाते गए।
©महज़
#Childhood