पर्दा–ए–सब्र को तू खोल न ए सुर्ख, सुना है कि ज़िस्म | हिंदी

"पर्दा–ए–सब्र को तू खोल न ए सुर्ख, सुना है कि ज़िस्म से रूह निकल जाती है। ©Surkh ( سرخ )"

 पर्दा–ए–सब्र को तू खोल न ए सुर्ख,
सुना है कि ज़िस्म से रूह निकल जाती है।

©Surkh ( سرخ )

पर्दा–ए–सब्र को तू खोल न ए सुर्ख, सुना है कि ज़िस्म से रूह निकल जाती है। ©Surkh ( سرخ )

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